Sunday, July 24, 2011

गया कोई

कर के वादा निभा गया कोई

हाए !मुझको भुला गया कोई


है जो काली ये रात क्या कीजे

जलता शोला बुझा गया कोई


कोई होगा न बुरा उस सा यहाँ

मुझ को मुझ से चुरा गया कोई


मंजिलें ग़ुम सफ़र लम्बा है

नक़्शे-पा ही मिटा गया कोई


उन बारिशों की ख़बर किस से लें

जिन से मुझ को भीगा गया कोई


कितना बैचन आज फिर दिल है

रो के , मुझ को रुला गया कोई


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