Wednesday, July 27, 2011

नई बात होती है ...!

जब कभी रात होती है
कुछ नई बात होती है

अँधेरा भी सुकून देता
जो मुलाक़ात होती है

दरिंदों की नहीं ग़लती
ये उनकी ज़ात होती है

कोई जो होंसला रखले
उसकी कायनात होती है

नहीं है फ़र्क इन में भी
ये शे येही मात होती है

बिछडेंगे ये सोचें क्यूँ
ये भी कोई बात होती है

कभी हँसना कभी आंसू
अजब हयात होती है

सभी से फ़ासला रक्खें
दोस्ती खैरात होती है

खो जाए तो दूंढ़े कौन
गज़ल सौगात होती है



2 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Bahut Khoob.... Sunder Abhivykti...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

वाह वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने....
सादर बधाई...

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