Thursday, August 25, 2011

याद...


है याद सिमटी
बंद कमरों में कहीं,
सर्द घाटी और बर्फीली पहाड़ी ,...
खुशनुमा लम्हों की सौगात सी !
गुज़रा वक़्त ही तो है मेरी पहचान भी!...

1 comment:

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर रचना,

www.hamarivani.com