यह खामोशी भी तो
जोडती है मुझे तुमसे
बहती हवा ,
और कहीं दूर
बादलों की गड़गड़हट
सुखे पत्तों पर कदमों की
सरसराहट...
दूर किसी मंदिर मे
बजती घंटियां ।।।
और रंगे हिना।।।
मेरे लफ़ज़ों के अलावा सबकुछ,
जोडता है मुझे तुम से।।।!
जोडती है मुझे तुमसे
बहती हवा ,
और कहीं दूर
बादलों की गड़गड़हट
सुखे पत्तों पर कदमों की
सरसराहट...
दूर किसी मंदिर मे
बजती घंटियां ।।।
और रंगे हिना।।।
मेरे लफ़ज़ों के अलावा सबकुछ,
जोडता है मुझे तुम से।।।!
2 comments:
आपका प्रयास सराहनीय है
sundar...waise bhii kaun jod raha hai..isse kahin zyada mahatvapoorna hai JUDNAA
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