सर्द हवा
लुटती सबा,
और भी कुछ
था नया
भीगी पलके
जगी रातें ,
और तो मिलता
भी क्या
बेबसी भी
दीवानगी भी ,
उस के सिवा
सबकुछ मिला
पूछ्ती है
खामोशी भी ,
मुझ से उसका
ही पता
लम्हा लम्हा
ठहर गयी,
मेरा ऐसा
हाल हुवा ।
लुटती सबा,
और भी कुछ
था नया
भीगी पलके
जगी रातें ,
और तो मिलता
भी क्या
बेबसी भी
दीवानगी भी ,
उस के सिवा
सबकुछ मिला
पूछ्ती है
खामोशी भी ,
मुझ से उसका
ही पता
लम्हा लम्हा
ठहर गयी,
मेरा ऐसा
हाल हुवा ।
1 comment:
बेबसी भी
दीवानगी भी ,
उस के सिवा
सबकुछ मिला
बढ़िया रचना...
सादर...
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