जो है आज पुरातन ,
सृजन करेगा , संशय मन में ,नवचेतन ...
करो प्रतीक्षा , आज उद्विग्न जो,
होगा स्थिर कल वो...
एक पल भाषित कर..
कर देगा ...
सृजन करेगा , संशय मन में ,नवचेतन ...
करो प्रतीक्षा , आज उद्विग्न जो,
होगा स्थिर कल वो...
एक पल भाषित कर..
कर देगा ...
सरल सर्वस्व अधम को....!!!
8 comments:
एक पल भाषित कर..
कर देगा ...
सरल सर्वस्व अधम को....!!!
सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
ख़ूबसूरत रचना , सुन्दर प्रस्तुति
सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
जो बीतता है ..पुराना होता है वो नव सृजन को स्थान देता है ...सुन्दर रचना!!
"प्रेरित होगा नूतनतम को
जो है आज पुरातन ,
सृजन करेग.."
उम्मीद की ओर ले जाती एक सकारात्मक सोच से पूर्ण रचना.नूतन जी बधाई.
एक पल भाषित कर..
कर देगा ...
सरल सर्वस्व अधम को....!!!
इसी पल की प्रतीक्षा सार्थक हो यही प्रार्थना...
सुन्दर रचना..
सादर...
:)
small, but really impressive :)
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