Tuesday, January 31, 2012

अंतिम प्रयास

भरता उल्लास,

तुम्हारा नाद ,

भीतर भीतर ,

नव उन्माद ,

जैसे आलौकिक

नव निर्माण,

तुम अरूप ,

किन्तु उजास ,

सर्वभूत ,

शुभ सुवास ,

मोक्ष की ,

प्राप्ति का ...

तुम मेरा

अंतिम प्रयास

ओ पूजनीय ,

परम आत्मा ...

तुम से मिलन....

अंतिम प्रयास

3 comments:

विभूति" said...

अंतिम प्रयास ही तो शुरुवात है.....

dinesh aggarwal said...

बहुत ही खूबसूरत रचना.....
निश्चित ही सराहनीय
नेता,कुत्ता और वेश्या

पीयूष त्रिवेदी said...

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