Friday, March 30, 2012

हर क्षण .....जीवंत

विनम्र रहते हैं
विस्मित हो जब टूट कर
औन्धे मुंह ... धंसे रहते हैं
गर्म मिटटी में
तब भी
विनम्र रहते हैं स्वप्न .....
पुनः पूर्ण होने की अभिलाषा से॥
रहते हैं हर क्षण .....जीवंत

3 comments:

virendra sharma said...

बहुत सुन्दर बिम्ब विचार कण .

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

खुबसूरत... वाह!
सादर.

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब!

सादर

www.hamarivani.com