शब्द मेरा उत्साह ...
छंद मेरी वेदना ,
जीवन मरण ये असाध्य दुःख ,
केवल कविता ही आत्म सुख !!!
Tuesday, July 31, 2012
कहाँ तक
यहाँ से वहां तक
कहाँ से कहाँ तक
तू हुआ ,ऐ खुदा
ये बता तो ज़रा
इतनी ऊंचाइयां
या वो गहराइयां ... या खला जो नज़र आ रही दरमियाँ तू छुपा है भला क्यूँ सदा इस तरह हर तरफ हर जगह ...
3 comments:
रचना अच्छी है "ऊंचाइयां "कर लें,उचाइयां के स्थान पर .शब्द ऊंचाई है जिसका बहु वचन होगा ऊंचाइयां .दीर्घ ई का इ हो जाएगा बहुवचन में .
आभार वीरूभाई जी! मैं आपसे क्षमा याचना करते हुए इस भूल को अभी सुधार लेती हूँ !
सुन्दर रचना.....
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