Friday, August 31, 2012

पारस्परिकता

केवल समर्थन नहीं
अनुशासन भी
पारस्परिकता का नियम ...
वैसे ही जैसे युद्ध भूमि में
कृष्ण ने सारथी बन
...
अर्जुन के अनुशासन को
दिशा दे, लक्ष्य को स्थापित किया
और तिमिर अन्धकार जला
एक ज्योति पुंज साकार किया

2 comments:

virendra sharma said...

संक्षिप्त और सुन्दर प्रस्तुति
. यहाँ भी पधारें -
शुक्रवार, 31 अगस्त 2012
लम्पटता के मानी क्या हैं ?

लम्पटता के मानी क्या हैं ?


कई मर्तबा व्यक्ति जो कहना चाहता है वह नहीं कह पाता उसे उपयुक्त शब्द नहीं मिलतें हैं .अब कोई भले किसी अखबार का सम्पादक हो उसके लिए यह ज़रूरी नहीं है वह भाषा का सही ज्ञाता भी हो हर शब्द की ध्वनी और संस्कार से वाकिफ हो ही .लखनऊ सम्मलेन में एक अखबार से लम्पट शब्द प्रयोग में यही गडबडी हुई है .

हो सकता है अखबार कहना यह चाहता हों ,ब्लोगर छपास लोलुप ,छपास के लिए उतावले रहतें हैं बिना विषय की गहराई में जाए छाप देतें हैं पोस्ट .

बेशक लम्पट शब्द इच्छा और लालसा के रूप में कभी प्रयोग होता था अब इसका अर्थ रूढ़ हो चुका है :

"कामुकता में जो बारहा डुबकी लगाता है वह लम्पट कहलाता है "

Vinay said...

Heart touching...

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