...प्रेरणा....
शब्द मेरा उत्साह ... छंद मेरी वेदना , जीवन मरण ये असाध्य दुःख , केवल कविता ही आत्म सुख !!!
Sunday, August 30, 2009
मेघ जल बरसा,
मेघ जल बरसा,
बुझा -
अंतरित तृष्णा!
चाँद तू खिल जा,
छुपा -
अपनी व्यथा!
पुष्प फिर सुन्गंदिथ हो जा,
भुला -
भंवरों की दशा!
नदिया फिर बह जा,
उठा -
ज्वार अपना!
मन,शून्यता में,
सुझा -
मुझको रास्ता!!!"
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