कण में बसे ईश
विश्वास कर
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नींद से जागा
घबरा गया बच्चा
है स्वप्न टूटा
कोरा कागज़
छिन्न भिन्न आखर
है मन रूठा
कृष्ण न माने
राधिका डर भागी
गागर फूटा
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शब्द मेरा उत्साह ... छंद मेरी वेदना , जीवन मरण ये असाध्य दुःख , केवल कविता ही आत्म सुख !!!