तुम्हारा नाद ,
भीतर भीतर ,
नव उन्माद ,
जैसे आलौकिक
नव निर्माण,
तुम अरूप ,
किन्तु उजास ,
सर्वभूत ,
शुभ सुवास ,
मोक्ष की ,
प्राप्ति का ...
तुम मेरा
अंतिम प्रयास
ओ पूजनीय ,
परम आत्मा ...
तुम से मिलन....
अंतिम प्रयास
शब्द मेरा उत्साह ... छंद मेरी वेदना , जीवन मरण ये असाध्य दुःख , केवल कविता ही आत्म सुख !!!