शब्द मेरा उत्साह ... छंद मेरी वेदना , जीवन मरण ये असाध्य दुःख , केवल कविता ही आत्म सुख !!!
हाँ तेरे आस पास हूँ,
मैं आज फिर उदास हूँ ,!
छू भी ना पा सकूँ तुझे,
मुझको लगा मैं ख़ास हूँ,!!?
नज़रों में तेरी आ सकूँ,
अब मैं बस ये आस हूँ,!
यूँ तो ना बेख़बर रहो
ख़ामोश एक एहसास हूँ,!
तू खुदा हुवा तो क्या हुवा
तिरे इल्म की मैं प्यास हूँ!!
यूँ तो ना बेख़बर रहोख़ामोश एक एहसास हूँ,!.............ख़ामोशी सबसे बड़ा एहसास है .व्यक्ति अगर ख़ामोशी समझने लगे तो जीवन की शून्यता ख़तम हो जाए..सारगर्भित पंक्तिया ..............क्या वर्ण व्योस्था प्रासंगिक है ?? क्या हम आज भी उसे अनुसरित कर रहें हैं??
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1 comment:
यूँ तो ना बेख़बर रहो
ख़ामोश एक एहसास हूँ,!
.............
ख़ामोशी सबसे बड़ा एहसास है .व्यक्ति अगर ख़ामोशी समझने लगे तो जीवन की शून्यता ख़तम हो जाए..सारगर्भित पंक्तिया
..............
क्या वर्ण व्योस्था प्रासंगिक है ?? क्या हम आज भी उसे अनुसरित कर रहें हैं??
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