शब्द मेरा उत्साह ...
छंद मेरी वेदना ,
जीवन मरण ये असाध्य दुःख ,
केवल कविता ही आत्म सुख !!!
Thursday, November 25, 2010
तुम(१)
तुम ने, जाने क्यूं हर बार चाहा,अपने रिशते को नाम देना, और मैने जिसे हर बार भूलना चाहा,तुमने दोहराया॰॰॰ क्यूं बांधते हो, रहने दो मुक्त॰॰॰अपनी लय में युक्त मेरे स्वप्न!!
2 comments:
काश, कम-सेकम सपनों को तो मुक्त आसमाँ प्राप्त होता...
बहुत प्यारी रचना...
बहुत ही खूबसूरत शब्द ।
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