कर के वादा निभा गया कोई
हाए !मुझको भुला गया कोई
है जो काली ये रात क्या कीजे
जलता शोला बुझा गया कोई
कोई होगा न बुरा उस सा यहाँ
मुझ को मुझ से चुरा गया कोई
मंजिलें ग़ुम सफ़र लम्बा है
नक़्शे-पा ही मिटा गया कोई
उन बारिशों की ख़बर किस से लें
जिन से मुझ को भीगा गया कोई
कितना बैचन आज फिर दिल है
रो के , मुझ को रुला गया कोई
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