मैं केवल समानताएं
ढूंढती थी
तुम में और मुझ में
क्या पाया मैंने
अबोध से कुछ आचरण
और सहमे सहमे कुछ स्वप्न
उधेडबुन में इसकी कौन किसका रक्षक
लेकिन फिर भी था कुछ
निरंतर होता घटित
जब यह बंधन मतवाला
करता निस्वार्थ अभिनन्दन
एक दुसरे की सत्ता का
निर्भीक समर्थन
ढूंढती थी
तुम में और मुझ में
क्या पाया मैंने
अबोध से कुछ आचरण
और सहमे सहमे कुछ स्वप्न
उधेडबुन में इसकी कौन किसका रक्षक
लेकिन फिर भी था कुछ
निरंतर होता घटित
जब यह बंधन मतवाला
करता निस्वार्थ अभिनन्दन
एक दुसरे की सत्ता का
निर्भीक समर्थन
2 comments:
जब यह बंधन मतवाला
करता निस्वार्थ अभिनन्दन
एक दुसरे की सत्ता का
निर्भीक समर्थन,,,,
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
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