Wednesday, June 19, 2013

कुछ यूँ

कुछ यूँ हिलती डुलती
ज़मीनों का
सच
प्रत्यक्ष होने लगा है
और
... नदियों में उफान का
रेतीले बवंडरों का
या कि
समुद्री तूफानों का .....
हाँ सच तो केवल एक है
युगों से युगों का सफ़र
निरंतर अवश्य ....
परन्तु
अनंत तो नहीं .....

1 comment:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

निरंतर अवश्य,परन्तु अनंत तो नहीं,,,

बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,

RECENT POST : तड़प,

www.hamarivani.com