कुछ यूँ हिलती डुलती
ज़मीनों का
सच
प्रत्यक्ष होने लगा है
और
... नदियों में उफान का
रेतीले बवंडरों का
या कि
समुद्री तूफानों का .....
हाँ सच तो केवल एक है
युगों से युगों का सफ़र
निरंतर अवश्य ....
परन्तु
अनंत तो नहीं .....
ज़मीनों का
सच
प्रत्यक्ष होने लगा है
और
... नदियों में उफान का
रेतीले बवंडरों का
या कि
समुद्री तूफानों का .....
हाँ सच तो केवल एक है
युगों से युगों का सफ़र
निरंतर अवश्य ....
परन्तु
अनंत तो नहीं .....
1 comment:
निरंतर अवश्य,परन्तु अनंत तो नहीं,,,
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
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