वो अपने नन्हे हाथों को गालों पर धर बोली,
आओ ना मम्मा हम तुम मिलकर खेलें होली
मैं घबराई फिर एक उसको डाँट लगाई
घर गंदा होगा दाग ना हटेंगे तुम तो हो भोली,
कैसी होली
मेरी थोड़ी बात समझ कर फिर वो बोली,
मुस्काई,रंगो की अपनी उठा के पोटली,
खींच के मुझको दरवाज़े पर ले आई
चलो मम्मा गार्डेन मैं चलकर खेलें होली
ऐसी होली
मेरा मन बहका मैं साथ में उसके होली
जैसे ही मैने दरवाज़े की चिटकनी खोली
नीचे बोर्ड पर लगे नोट की याद आई
हज़ार रुपए का ज़ुर्माना जो गार्डेन में खेली होली
कैसी होली
बस उतनी सी देर में वो जी भर कर रोली
अब कैसे खेलेंगे मम्मा हम तुम होली
बॉल मान को कैसे मैने ढेस लगाई
मैने अपनी बातों मैं थोड़ी मिशरी घोली
हम तुम दादी के घर खेलेंगे अगली होली
खूब करेंगे मनमानी ,मस्ती,मैं बोली
उसके प्यारे मुख पर मुस्कान जग आई
चढ़ क्र मेरी गोद मैं बोली मम्मा हॅपी होली......
1 comment:
आप सभी को होली की अग्रिम शुभकामनायें..
शुभ होली .
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