शब्द मेरा उत्साह ...
छंद मेरी वेदना ,
जीवन मरण ये असाध्य दुःख ,
केवल कविता ही आत्म सुख !!!
Friday, March 30, 2012
हर क्षण .....जीवंत
विनम्र रहते हैं विस्मित हो जब टूट कर औन्धे मुंह ... धंसे रहते हैं गर्म मिटटी में तब भी विनम्र रहते हैं स्वप्न ..... पुनः पूर्ण होने की अभिलाषा से॥ रहते हैं हर क्षण .....जीवंत
3 comments:
बहुत सुन्दर बिम्ब विचार कण .
खुबसूरत... वाह!
सादर.
बहुत खूब!
सादर
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