शब्द मेरा उत्साह ...
छंद मेरी वेदना ,
जीवन मरण ये असाध्य दुःख ,
केवल कविता ही आत्म सुख !!!
Wednesday, April 4, 2012
सरल संवाद
मैंने जब तुम से सरल संवाद जोड़ा था कब कहा था प्राण फूंको मेरे इस आसक्त... से संकल्प में ..... अप्राप्य था जो उसे भी प्राप्त करने की नवोदित प्रेरणा क्यूँकर जगाई .... ?
1 comment:
सुन्दर सृजन, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें, आभारी होऊंगा.
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