Sunday, April 15, 2012

ज्योति बिम्ब


हे
अमिट अविकल,
ज्योति बिम्ब
तुम प्रणिता ,...
पावन प्रार्थना
अज्ञान कण का हरण कर
अनंत तम से तारना.....

6 comments:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...
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udaya veer singh said...

....बहुत खूब ! बेहतरीन ..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट
नूतन जी,आपका समर्थक बन गया हूँ आपभी बने मुझे खुशी होगी...

मेरे पोस्ट में आपका स्वागत है आइये....
.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

कविता रावत said...

bahut sundar nek bhawana se paripurn sarthak prastuti..

रजनीश तिवारी said...

tamso ma jyotirgamay ..bahut achchhi prarthna ...

ANULATA RAJ NAIR said...

सुंदर और सात्विक................

www.hamarivani.com