मैं नहीं कवयित्री .
मन में द्वेव्श राग का वास,
कटु वचन सुन होती त्रास...
मन बुद्धि जो...
मन में द्वेव्श राग का वास,
कटु वचन सुन होती त्रास...
मन बुद्धि जो...
दूजे मनुष्य पर विपदा ढाहे...
नहीं सुन्दर वो मन मंदिर...
जो दुजों को नीच बताए...
मैं नहीं कवयित्री
नहीं सुन्दर वो मन मंदिर...
जो दुजों को नीच बताए...
मैं नहीं कवयित्री
कविता लिखना है एक पूजा
परम आत्मा से मिल जाना
सुन्दर स्पष्ट न हो मन जिसका...
वो कर पाए कैसे पूजा...
वो कर पाए कैसे पूजा...
मैं नहीं कवयित्री ..
पर मुझको है कवयित्री बनना ....!!!
पर मुझको है कवयित्री बनना ....!!!