Saturday, February 4, 2012

दोहे

मौसम आये जाए पर ,सब सहना चुपचाप

नारी जीवन वृक्ष सा ,व्यर्थ न कर संताप


कितने आंसू पी रहा , एक बेटी का बाप

मान रहा वो आज भी ,लड़की को अभिशाप


नहीं सरल रहना वहां ,हो निश्छल निष्पाप

सब लेकर जीते जहाँ ,अधम सोच की छाप


साधन पथ पर बढ़ चला ,फिर भी मन घबराए

जोत जले जो भक्ति की ,श्याम भी मिल जाए!


मैला इसको तू करे, धरा न कूड़ा दान

आश्रय सबको दे रही ,रखले थोडा मान

19 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

साधन पथ पर बढ़ चला ,फिर भी मन घबराए

जोत जले जो भक्ति की ,श्याम भी मिल जाए!

बहुत ही बढ़िया।


सादर

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन, बधाई.
.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारकर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें, आभारी होऊंगा.

विभूति" said...

बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

Asha Lata Saxena said...

दोहे बहुत अच्छे लगे |बधाई |
आशा

Arun sathi said...

सार्थक
आभार

Naveen Mani Tripathi said...

कितने आंसू पी रहा , एक बेटी का बाप

मान रहा वो आज भी ,लड़की को अभिशाप

yahi to aj ke yug ka sabse bada abhishap hai mathur ji .....

Kavita Rawat said...

bahut badiya bhavpurn dohe..

virendra sharma said...

मौसम आये जाए पर ,सब सहना चुपचाप

नारी जीवन वृक्ष सा ,व्यर्थ न कर संताप
धारिणी (धरनी ,धरती )की तरह ही है नारी .

Maheshwari kaneri said...

बहुत खुबसूरत सार्थक दोहे..

Rajesh Kumari said...

bahut shandar saarthak dohe.

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 17/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Vandana Ramasingh said...

कितने आंसू पी रहा , एक बेटी का बाप

मान रहा वो आज भी ,लड़की को अभिशाप

बेहतरीन दोहे

Madhuresh said...

Bahut achchi panktiyan!

dinesh aggarwal said...

सुन्दर दोहे.... बधाई....
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर दोहे.
सादर/

Amrita Tanmay said...

बहुत सुन्दर |

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक और सार्थक दोहे ॥

vidya said...

बहुत सुन्दर सार्थक दोहे....

शुभकामनाएँ..

Ruchi Jain said...

bahut hi acha likha aapne..

www.hamarivani.com