Wednesday, July 27, 2011

नई बात होती है ...!

जब कभी रात होती है
कुछ नई बात होती है

अँधेरा भी सुकून देता
जो मुलाक़ात होती है

दरिंदों की नहीं ग़लती
ये उनकी ज़ात होती है

कोई जो होंसला रखले
उसकी कायनात होती है

नहीं है फ़र्क इन में भी
ये शे येही मात होती है

बिछडेंगे ये सोचें क्यूँ
ये भी कोई बात होती है

कभी हँसना कभी आंसू
अजब हयात होती है

सभी से फ़ासला रक्खें
दोस्ती खैरात होती है

खो जाए तो दूंढ़े कौन
गज़ल सौगात होती है



Tuesday, July 26, 2011


समंदर तू मुझे अपनी यही गहराइयाँ देदे,
तेरी मोजों की ये सिलवट यही उचाइयां देदे


बदल जाएगा हर मौसम मगर तू है वही
मुझे अपनी यही आदत यही तन्हाइयां देदे


किसी मंज़र के गुम होने का ग़म नहीं मुझको
पर ये क्या की बदले में मुझे रुस्वाइयां देदे


कभी बेलौस मस्ती में कोई तो शाम निकले
लबों के ज़र्द होने तक, कुछ, नई रुबाइयां देदे

Sunday, July 24, 2011

गया कोई

कर के वादा निभा गया कोई

हाए !मुझको भुला गया कोई


है जो काली ये रात क्या कीजे

जलता शोला बुझा गया कोई


कोई होगा न बुरा उस सा यहाँ

मुझ को मुझ से चुरा गया कोई


मंजिलें ग़ुम सफ़र लम्बा है

नक़्शे-पा ही मिटा गया कोई


उन बारिशों की ख़बर किस से लें

जिन से मुझ को भीगा गया कोई


कितना बैचन आज फिर दिल है

रो के , मुझ को रुला गया कोई


Monday, July 4, 2011

सत्य भी तो निरपेक्ष नहीं,
अटल.... अमर
कभी नहीं
इस को करे परिभाषित कौन ?
इसे स्वीकारे बस एक मौन!
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