Wednesday, April 13, 2011


किसी आवाज़ का मोहताज ना हो जाए तू,

है मुमकिन किसी को याद भी ना आए तू


सफ़र में होके मुसाफिर की तरह ही रहना,

क्या ज़रूरत किसी के दिल में उतर जाए तू


किया है उस से जो वादा तो निभा भी लेना,

दिल की बातों में आकर ना मुकर जाए तू.


बुरा नहीं यूँ बनाना नये रिश्ते लेकिन

अज़ल से हैं जो उन्हे ही निभा ना पाए तू


मरके बन जाना है गर्दिश का इक तारा लेकिन,

जीकर भी तो किसी घर का दिया जलाए तू


बदल रहा है ज़माना ज़रा तू भी तो बदल

क्यूँ बूढ़ी रस्म का हर वक़्त जशन मनाए तू

Monday, April 11, 2011

आस पास हूँ


हाँ तेरे आस पास हूँ,

मैं आज फिर उदास हूँ ,!


छू भी ना पा सकूँ तुझे,

मुझको लगा मैं ख़ास हूँ,!!?


नज़रों में तेरी आ सकूँ,

अब मैं बस ये आस हूँ,!


यूँ तो ना बेख़बर रहो

ख़ामोश एक एहसास हूँ,!


तू खुदा हुवा तो क्या हुवा

तिरे इल्म की मैं प्यास हूँ!!

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