Friday, August 31, 2012

पारस्परिकता

केवल समर्थन नहीं
अनुशासन भी
पारस्परिकता का नियम ...
वैसे ही जैसे युद्ध भूमि में
कृष्ण ने सारथी बन
...
अर्जुन के अनुशासन को
दिशा दे, लक्ष्य को स्थापित किया
और तिमिर अन्धकार जला
एक ज्योति पुंज साकार किया

Thursday, August 30, 2012

स्वर

तुम स्वर हो जाना
और मैं ....
मैं  तुम्हारे स्वर का
अभिमत... किन्तु इस होने
न होने के प्रक्रम में
इतना भर सचेत रहना ...
कहीं स्वर से सत्य विलुप्त  न हो जाए
कि अपनी गूँज केवल एक
शरणार्थी बन ,लक्ष्यरहित, न विस्मित हो
 कहीं ...भटक जाए.....!

Wednesday, August 29, 2012

मधुरिम गीत

Sunday, August 26, 2012

तुम सा बोध ....

क्यूँ नहीं तुम सा
बोध मुझ में
और मुझ सा सामर्थ्य
तुम में
क्या ' तुम ' और ' मैं '
एक नहीं ...
जीवन नेपथ्य में ?
www.hamarivani.com