Friday, September 30, 2011

हाइकु..

प्रार्थना कर
कण में बसे ईश
विश्वास कर
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नींद से जागा
घबरा गया बच्चा
है स्वप्न टूटा

कोरा कागज़
छिन्न भिन्न आखर
है मन रूठा

कृष्ण न माने
राधिका डर भागी
गागर फूटा
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15 comments:

विभूति" said...

sundar...

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... सभी हाइकू लाजवाब ...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

अच्छे हाईकू... वाह..
सादर..

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 04/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

रचना दीक्षित said...

लाजवाब हाइकू पेश किये है. वाह बहुत सुंदर. बधाई.

nutan vyas said...

धन्यवाद है आप सभी का!
पहली बार ही इस विद्या में कुछ कहने का प्रयत्न किया !
आप सब ने इसे पढ़ मुझे और लिखने को प्रोत्साहित कर दिया!

Dr.J.P.Tiwari said...

very nice and impressive

Anonymous said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या।

Unknown said...

बहुत ही सुन्दर...लाजवाब ..शुभ कामनाएं !!

रेखा said...

वाह ...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Bahut Sunder Haiku....

sanjay vyas said...

इनसे आपके संवेदन शील कवि-मन से परिचय हुआ.
शुभकामनाएं.

S.N SHUKLA said...

सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें

समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.

प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

mridula pradhan said...

bahut sunder.......

www.hamarivani.com