Friday, March 30, 2012

हर क्षण .....जीवंत

विनम्र रहते हैं
विस्मित हो जब टूट कर
औन्धे मुंह ... धंसे रहते हैं
गर्म मिटटी में
तब भी
विनम्र रहते हैं स्वप्न .....
पुनः पूर्ण होने की अभिलाषा से॥
रहते हैं हर क्षण .....जीवंत

Monday, March 26, 2012

सूक्ष्म


कितना सूक्ष्म है
यह भेद
शाश्वत और निरंतर ...
हो जाने में
जटिल भी तो कितना
हर क्षण
जब हो
वायु जल आकाश अग्नि
और पृथ्वी से
परे हो जाने को व्याकुल
यह चित्त.......!!
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