Friday, September 30, 2011

हाइकु..

प्रार्थना कर
कण में बसे ईश
विश्वास कर
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नींद से जागा
घबरा गया बच्चा
है स्वप्न टूटा

कोरा कागज़
छिन्न भिन्न आखर
है मन रूठा

कृष्ण न माने
राधिका डर भागी
गागर फूटा
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Thursday, September 8, 2011

करो प्रतीक्षा...!

प्रेरित होगा नूतनतम को
जो है आज पुरातन ,
सृजन करेगा , संशय मन में ,नवचेतन ...
करो प्रतीक्षा , आज उद्विग्न जो,
होगा स्थिर कल वो...
एक पल भाषित कर..
कर देगा ...
सरल सर्वस्व अधम को....!!!

Friday, September 2, 2011

पा ही जाता होगा...

जब भी अपनी सार्थक सृजनता में,
कुछ खोजने लगता होगा,
तो पा ही जाता होगा,
अपनी आत्मा,
वो भी,
ऐसे ही,
जैसे प्रार्थना,
तप में लीन साधना,
कोई साधक करता होगा ,
इश्वर से एक होने की प्रसन्नता में !!!

Thursday, September 1, 2011

  कुछ.... था नया

सर्द हवा    
    लुटती सबा,
और भी कुछ     
   था नया

 भीगी पलके    
  जगी रातें ,
और तो मिलता      
    भी क्या

बेबसी भी   
    दीवानगी भी ,
उस के सिवा      
  सबकुछ मिला

 पूछ्ती है      
  खामोशी भी  ,
 मुझ से उसका        
  ही पता

 लम्हा लम्हा      
  ठहर  गयी,
 मेरा ऐसा     
     हाल हुवा । 

खामोशी...

यह खामोशी भी तो      
    जोडती है मुझे तुमसे          
बहती हवा ,
और कहीं दूर
             बादलों की गड़गड़हट          
 सुखे पत्तों पर कदमों की  
                    सरसराहट...
 दूर किसी मंदिर मे    
                बजती घंटियां ।।।
 और रंगे हिना।।।
 मेरे लफ़ज़ों के अलावा सबकुछ,
 जोडता है मुझे तुम से।।।!
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