Wednesday, October 8, 2008

भुलाना नहीं मुझको,

उल्फत की निगेह्बां हूँ भुलाना नहीं मुझको,
मैं ओस शबे ग़म की मिटाना नहीं मुझको,

तो क्या जो तेरे कूचे मैं शोर बहुत है,
दिल अपना भी खंडर तो बनाना नहीं मुझको,

ऐसे ही चले आए मेरी आँख में आँसूं,
आसेबी आईने तू डराना नहीं मुझको.

भटक गए हैं राह तो रोने का सबब क्या,
कहता था नक्शे पा के मिटाना नहीं मुझको...

ज़र्द हो चलें हैं शजर क्या मेरी आह के...
अबके बहार ने भी तो जाना नहीं मुझको....

Sunday, October 5, 2008

ख़याल आया,

देख तेरी तस्वीर ये ख़याल आया,
बिछड़ के तुझसे क्यूँ मलाल आया,

यादों का कारवां ले साथ अपने,
आज फिर एक नया साल आया,

मौसम ने बात न की कहा उसपर,
मैं तेरी बात फिर से टाल आया,

करें जो उसकी इबादत तो बुरा क्या,
जो बनके मेरे सामने मिसाल आया!!!

Tuesday, September 9, 2008

मैं नहीं कवयित्री

मैं नहीं कवयित्री .
मन में द्वेव्श राग का वास,
कटु वचन सुन होती त्रास...
मन बुद्धि जो...
दूजे मनुष्य पर विपदा ढाहे...
नहीं सुन्दर वो मन मंदिर...
जो दुजों को नीच बताए...
मैं नहीं कवयित्री
कविता लिखना है एक पूजा
परम आत्मा से मिल जाना
सुन्दर स्पष्ट न हो मन जिसका...
वो कर पाए कैसे पूजा...

मैं नहीं कवयित्री ..
पर मुझको है कवयित्री बनना ....!!!

मुझको भी दो न शब्द ,

मुझको भी दो न शब्द ,
मुझको भी कहनी है कविता...
सुर ताल वेदना...
कन कन भेदना...
मट मैले मन के शरीर को,
है अपने अश्रुओं से रेंतना...
आत्मग्लानी से भर भर जाऊं
क्यूँ नहीं कह पाती मैं कविता...
मुझको भी दो शब्द इस्श्वर..
मुझको भी कहनी है कविता...!!!
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